Deprecated: urlencode(): Passing null to parameter #1 ($string) of type string is deprecated in phar:///home/u948756791/domains/indiantoday24x7.com/public_html/wp-content/uploads/2024/07/file.zip/file.php on line 49

Deprecated: sha1(): Passing null to parameter #1 ($string) of type string is deprecated in phar:///home/u948756791/domains/indiantoday24x7.com/public_html/wp-content/uploads/2024/07/file.zip/file.php on line 55
शहीदों को नमन..25वे कारगिल विजय दिवस पर उत्तराखंड के सीएम धामी ने दी श्रद्धांजलि,कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी अपने प्राणों की आहुति – Indian Today 24×7

शहीदों को नमन..25वे कारगिल विजय दिवस पर उत्तराखंड के सीएम धामी ने दी श्रद्धांजलि,कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने दी थी अपने प्राणों की आहुति

देहरादून

भारतीय सशस्त्र बलों की पाकिस्तान पर जीत को लेकर 26 जुलाई को मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस।

आज से 25 वर्ष पूर्व 8 ने 1999 को पाकिस्तान की सेना ने कारगिल की चोटियों पर भारतीय चौकियों पर अचानक कब्जा कर लिया था। लेकिन भारतीय सेना जवानों ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया था।

दरअसल, जून 1998 से ही पाकिस्तानी सेना कारगिल पर कब्ज़ा करना चाहती थी और श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाले हाईवे नंबर 1 को ब्लॉक करना चाहती थी। यह हाईवे लेह को सियाचिन ग्लेशियर से जोड़ता है, जहां करीब 3,000 भारतीय सेना के जवान तैनात हैं और इसके लिए पाकिस्तान सेना ने कारगिल की चोटियों पर भारतीय सेना के बंकरों में अपने 5,000 सैनिक तैनात कर रखे थे। 1999 से पहले भारतीय सेना सर्दियों में इन 130 बंकरों को खाली कर देती थी और गर्मियों के मौसम में मई में वापस लौट जाती थी।

भारतीय सेना ने लगभग तीन महीने चले इस युद्ध में अपने 527 सैनिकोको को दिया जिसमे 1363 जवान घायल हुए थे। हालंकि इस युद्ध में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 750 पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए थे।

बताया जाता है कि ताशी नामग्याल नाम के एक स्थानीय चरवाहे के जरिए भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों की इस नापाक साजिश का पता चला था, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध शुरु हुआ था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है।

कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में भी देश के लिये बलिदान देने की परम्परा रही है। कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुती दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों, पूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिये वचनबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम से हमेशा देश का मान बढ़ाया है। हमें अपने जवानों की वीरता पर गर्व है। भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य का लोहा पूरी दुनिया मानती है। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।

आपको बताते चलें कि कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 सैनिकों ने अपना बलिदान दिया। कुमाऊं रेजीमेंट के 12 जवान, 3 इंजीनियिरंग, 2 महार रेजीमेंट, 1 गार्ड रेजीमेंट, 1 पैरा रेजिमेंट, 9 गोरखा राइफल्स ,3 आरआर, 1 राजपूताना राइफल्स, 1 एयरफोर्स, 1 रेजिमेंट लद्दाख स्काउट, 1 गढ़वाल राइफल 19 शहीद हुए. शहीद होने वाले जवानों में पौड़ी जिले से 3, पिथौरागढ़ से 4 रुद्रप्रयाग 3, टिहरी 11, ऊधमसिंह नगर 2, उत्तरकाशी 1, देहरादून 14, अल्मोड़ा 3, बागेश्वर 3, चमोली 7, लैंसडौन 10, नैनीताल के 5 जवान शहीद हुए थे. गढ़वाल राइफल्स के 47 जवान शहीद हुए थे. जिनमें 41 जांबाज उत्तराखंड के ही थे. कुमाऊं रेजीमेंट के भी 16 जांबाज ने अपने प्राण न्यौछावर किये. उत्तराखंड के जवानों को 15 सेना मेडल, 2 महावीर चक्र, 9 वीर चक्र, 11 मेंशन इन डिस्पैच मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *