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बाबा बौखनाग मंदिर का निर्माण कार्य पूरा,बाबा की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू,14 अगस्त को बाबा मंदिर में होंगे विराजमान – Indian Today 24×7

बाबा बौखनाग मंदिर का निर्माण कार्य पूरा,बाबा की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू,14 अगस्त को बाबा मंदिर में होंगे विराजमान

देहरादून/बड़कोट/उत्तरकाशी

नौगांव ब्लॉक ग्राम पंचायत उपराड़ी गांव में बाबा बौख नाग देवता का नवनिर्मित मंदिर बनकर तैयार हो गया है।

रविवार को कलश यात्रा के साथ बाबा बौख नाग, भगवती देवी की अगुवाई में विधिवत रूप से मंदिर कि प्राण प्रतिष्ठा का शुभारंभ हो गया। तीन दिनों तक पूजा अर्चना वैदिक मंत्र उच्चारण के बाद नव निर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 14 अगस्त को बाबा बौख नाग देवता मंदिर में विराजमान होंगे।

मंदिर प्रणा प्रतिष्ठा में अध्यक्ष भरतमणि बेलवाल,कोषाध्यक्ष महिपाल सिंह रावत, महंत केशव गिरी महाराज,ग्राम प्रधान शांति प्रसाद बेलवाल, बालकृष्ण बेलवाल,यशपाल सिंह रावत, शंकर चमोली,आचार्य मुंशी राम बेलवाल,भाजपा नेता चंडी प्रसाद बेलवाल ,नवीन डोभाल, राधेश्याम डोभाल, मनोज बंधानी, हरि शरण उनियाल, हरीशंकर सेमवाल, प्रेम बंधानी, जगदीश प्रसाद बेलवाल,भूवनेश सेमवाल,अमित बेलवाल भाग्यान दास, चंदा दास, प्यार दास,चमन लाल सहित समस्त उपराड़ी कू ग्रामीण मौजूद रहे हैं।

अपनी देव संस्कृति के लिए विख्यात रवांई घाटी के मंदिरों में लकड़ी पर की गई नक्काशी एक तरह से दुर्लभ ही है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि ये मध्य काल में बने हैं।

उस समय काष्ठकुणी शैली में बने मंदिर आज भी कला का बेजोड़ नमूना पेश करते हैं। ये मंदिर काष्ठ यानी लकड़ी के बने हैं, जिन पर आकर्षक कलाकृतियां उकेरी गई हैं। इनमें मुख्य तौर पर देवदार की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। मंदिरों के अलावा कुछ दूसरी इमारतों में भी ऐसी कलाकृतियां बनाई गई हैं। काष्ठकुणी शैली मंदिर व इमारत की सुंदरता ही नहीं दर्शाती, इसके साथ धर्म और इतिहास भी जुड़ा हुआ है।

वहीं, कोठी चंडिका मंदिर में सूर्य भगवान की छवि सहित शानदार नक्काशी की गई है। इन सभी मंदिरों के स्तंभों, खिड़कियों, दरवाजों, दीवारों, चौखट, बरामदों व छतों पर भी देवी-देवताओं, सहित विभिन्न प्रकार के फूलों की कलाकृतियां बनाई गई हैं।

बताया गया कि अगस्त 2020 में बाबा बौखनाग के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था। ग्रामीणों ने मंदिर के निर्माण के लिए काष्ठकुणी शैली के जानकार ठकराल पट्टी के गंगटाड़ी गांव से पांच राज कारीगरों को मंदिर निर्माण के लिए बुलाया गया। इन कारीगरों ने मंदिर का निर्माण देवदार, दली, कैल, चीड़ के पेड़ की लकड़ियों से शुरू किया। नायाब नक्काशी के माध्यम से विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियों को मंदिर की लकड़ी की दीवारों पर उकेरा गया।

वहीं मंदिर के छत पर पटालियों के लिए देश भर में विख्यात सरनौल की पटाली लगाई गई है।

ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण आदि ने सहयोग राशि दी है। बाकी की अन्य धनराशि ग्रामीणों ने आपस में चंदा एकत्रित कर किया। बौखनाग मंदिर का निर्माण लगभग पांच साल के बाद पूरा हुआ है, जिसके निर्माण में लाखों की धनराशि खर्च हुई। मंदिर निर्माण में राज कारीगरों के साथ ग्रामीणों ने भी श्रमदान किया है।

उल्लेखनीय है कि अभी तक बाबा बौख नाग के चार मुख्य थान कफनोल, भाटिया , कंसेरू और नंद गांव था अब पांचवां थान उपराड़ी बन गया है।

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