देहरादून
राज्य आंदोलन के वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारियों में एक बब्बर गुरुंग का बुधवार को देहांत हो गया। वरिष्ठ साहित्यकार,कवि और अपनी आवाज और कलम से राज्य आंदोलनकरियों में जोश पैदा करने वाले जनगीतों के प्रणेता अतुल शर्मा ने अपने शहीदों को नमन करते हुए कुछ यादें शेयर की। उनकी जुबानी बब्बर गुरुंग के साथ बीते कुछ यादगार वाक़िए बताते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आन्दोलन का दौर और 1994-95 के दिन। संघर्ष और समर्पण के दौर मशाल जुलूस प्रभात फेरी, भूख हड़ताल, रैलियों, पोस्टर जन गीत, नुक्कड़ नाटक, विचार गोष्ठियों, स्मारिकाओं, कविताओं, जोशीले भाषणों, का दौर था। जन समुदाय सड़क पर था।
वरिष्ठ राज्य आन्दोलन कारियों ने चेतना जगायी थी। उन्ही मे से एक थे वरिष्ठ राज्य आन्दोलन कारी बब्बर गुरुंग। कल उनका निधन लम्बी बिमारी के बाद हो गया। यह बहुत दुखद सूचना है।
उनको श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि बब्बर हमेशा राज्य आन्दोलन के सक्रिय व वरिष्ठ आन्दोलनकारी के रूप में याद किये जायेगे। वरिष्ठ राज्य आन्दोलन कारी रविन्द्र जुगरान,प्रदीप कुकरेती, रामलाल खंडूरी ने बताया कि बब्बर गुरुंग 1995 मे 29 दिनो की भूख हड़ताल पर, जंतर मंतर दिल्ली मे चन्द्र मणि नौटियाल के साथ रहे थे।
देहरादून मे राज्य आन्दोलन की हर गतिविधियों मे बब्बर हमेशा अग्रिम पंक्ति मे रहे।
राज्य आन्दोलन कारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी के नेतृत्व मे मंच द्वारा उनके घर जाकर गतवर्ष सम्मानित भी किया गया था।
नयी पीढ़ी उनसे प्रेरणा लेकर राज्य आन्दोलन के संघर्ष को याद करेगी। वे राज्य आन्दोलन के महत्वपूर्ण व नेतृत्व कारी शक्तियों मे से एक रहे है।
एक बार आंदोलन के दौरान 1995 मे एक रैली मे सबने मिलकर मेरा लिखा जन गीत लड़के लेगे भिड़ के लेगे उत्तराखंड गाया, जिसे रणजीत सिंह वर्मा, सुशीला बलूनी, वेद उनियाल और बब्बर गुरुंग ने पूरा जन गीत रास्ते भर गाया और लोगों ने उसे दोहराया, गुरुंग को मेरा पूरा जन गीत याद था।
स्वर्गीय वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बब्बर गुरुंग को शहीदों को नमन की ओर से श्रद्धांजलि एवं शत शत नमन।